गुरुवार, 14 फ़रवरी 2013

सागर जैसा दिल, आसमां सा मन है मेरा - कविता



सागर जैसा दिल, आसमां सा मन है मेरा,
प्यार की रुनझुन से सजा, जीवन है मेरा.

कौन कहता है क्या, नहीं कोई इसकी फिकर,
करता हूँ वही जो कह देता, मन है मेरा.

दो कदम चल कर, तुम आओ तो सही,
दोस्तों के लिए ही सजा, गुलशन है मेरा.

माँगा जिसने जो भी, उसे हँस के दिया,
कोई रुसबा न हो इतना, जतन है मेरा.

चाहे कांटे मिलें, पर फूल बन जाते हैं,
न मानो मगर ऐसा, अपनापन है मेरा.

रूठा कल से नहीं, चिंता कल की नहीं,
आज को आज में जीना, दर्शन है मेरा.