रविवार, 1 अप्रैल 2018

है अजर, अमर ये कालपी


बुन्देलखण्ड का प्रवेश द्वार, है शान हमारी कालपी.
है अजर, अमर ये कालपी, है अजर, अमर ये कालपी.
माँ वनखंडी औ वेद व्यास का सम्मान हमारी कालपी.
है अजर, अमर ये कालपी, है अजर, अमर ये कालपी.

भव्य भास्कर जिस धरती पर, सबसे पहले आते हों,
पावन यमुना के आँचल में, खेत जहाँ लहलहाते हों,
उस अलौकिक पावनता की, पहचान हमारी कालपी.
है अजर, अमर ये कालपी, है अजर, अमर ये कालपी.

ज़र्रा-ज़र्रा जहाँ महकता, शौर्य और बलिदान से,
जो मिट्टी ज्वाला बन दहकी, वीरों के अभिमान से,
आज़ादी के अफसानों का, गान हमारी कालपी.
है अजर, अमर ये कालपी, है अजर, अमर ये कालपी.

गुझिया-हलवे की मिठास ने प्रेम का रस बिखराया है,
धर्म-कर्म में एक बने सब, अंतर को बिसराया है,
कभी आरती और कभी है अजान हमारी कालपी.
है अजर, अमर ये कालपी, है अजर, अमर ये कालपी.