रविवार, 31 दिसंबर 2023

राम लौटे हैं फिर से वनवास से

आज चेहरे खिले हैं विश्वास से

राम लौटे हैं फिर से वनवास से.

 

आया कितना विषम ये वक़्त था,

दांव पर तो लगा अब अस्तित्व था.

 

थे मनुज रूप में अबकी रावण बहुत,

एक पल को लगा जीत मुश्किल बहुत.

 

सारी धरती थी जिसके अधिकार में,

निष्कासित सा रहा अपने संसार में.

 

जिस अयोध्या में जन्मे थे राम लला,

वहाँ सिर पर एक तिरपाल था तना.

 

जन्मभूमि की रक्षा में एक यज्ञ हुआ,

था प्राण पण की आहुतियों से सजा.

 

छँट गया कुहासा है अब सूर्य खिला,

सूर्यवंश को अपना अस्तित्व मिला.

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कुमारेन्द्र किशोरीमहेन्द्र

रविवार, 18 जून 2023

आसान नहीं होता पिता बनना

समन्दर सा खारापन ऊपर लिए
भीतर नदी सा मीठा बने रहना,

सूरज से गर्म तेवर लेकर भी
वटवृक्ष की शीतल छाँव बनना, 

ख्वाहिशों का आसमान छिपा
खुशियों की सौगात बिखेरना, 

दर्द अपने दिल से साझा कर
सबके साथ मुस्कुराते रहना, 

अनुशासन की लक्ष्मण रेखा में
जिम्मेवारी का संतुलन रखना, 

स्नेह-सूत्र में पिरो कर मोती
एक परिवार की माला बुनना, 

देखने में भले ही लगे सहज पर
आसान नहीं होता पिता बनना।
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कुमारेन्द्र किशोरीमहेन्द्र