मंगलवार, 22 जुलाई 2014

नग्न मानसिकता - लघुकथा

मोबाइल में मैसेज के नोटिफिकेशन की घंटी ने आवाज़ दी, उसने लपक कर मोबाइल की स्क्रीन पर खेलना शुरू कर दियास्क्रीन पर उभर कर आई तस्वीर देख उसकी आँखें और बड़ी हो गईं। स्क्रीन नग्न स्त्री देह के साथ चमक रही थी, जिसके अंग-प्रत्यंग एक-एक कर बदलती फोटो के साथ सामने आते जा रहे थे। अपने आसपास एक जासूसी, जाँचनुमा निगाह डालने के बाद वो फिर स्क्रीन पर महिला की नग्न देह से खिलवाड़ करने में लग गया। चार-पाँच मिनट खुद खेलने के बाद अब उसके द्वारा उन तस्वीरों को शेयर करने का उपक्रम शुरू कर दिया गया।
तस्वीरें तो शेयर हो ही रही थी और हर शेयर में एक कॉमन सन्देश “बेचारी रेप होने के बाद मार दी गई, वैसे है टंच माल।” मृत नारी की नग्न देह की चंद तस्वीरें लोगों की मानसिकता को शेयर कर रही थीं और ये मानसिकता कुछ और बलात्कारियों को जन्म दे रही थी। 
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© कुमारेन्द्र किशोरीमहेन्द्र