समन्दर सा खारापन ऊपर लिए
भीतर नदी सा मीठा बने रहना,
सूरज से गर्म तेवर लेकर भी
वटवृक्ष की शीतल छाँव बनना,
ख्वाहिशों का आसमान छिपा
खुशियों की सौगात बिखेरना,
दर्द अपने दिल से साझा कर
सबके साथ मुस्कुराते रहना,
अनुशासन की लक्ष्मण रेखा में
जिम्मेवारी का संतुलन रखना,
स्नेह-सूत्र में पिरो कर मोती
एक परिवार की माला बुनना,
देखने में भले ही लगे सहज पर
आसान नहीं होता पिता बनना।
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