माँ,
मुझे
एक बार तो जन्मने दो,
मैं
खेलना चाहती हूँ
तुम्हारी
गोद मैं,
लगना
चाहती हूँ
तुम्हारे
सीने से,
सुनना
चाहती हूँ मैं भी
लोरी
प्यार भरी,
मुझे
एक बार जन्मने तो दो;
माँ,
मैं
तो बस
तुम्हे
ही जानती हूँ,
तुम्हारी
धड़कन ही
पहचानती
हूँ,
मेरी
हर हलचल का
एहसास
है तुम्हे,
मेरे
आंसुओं को भी
तुम
जरूर पहचानती होगी,
मेरे
आंसुओं से
तुम्हारी
भी आँखें भीगती होगी,
मेरे
आंसुओं की पहचान
मेरे
पिता को कराओ,
मैं
उनका भी अंश हूँ
यह एहसास
तो कराओ,
मैं
बन के दिखाऊंगी
उन्हें
उनका बेटा,
मुझे
एक बार जन्मने तो दो;
माँ,
तुम
खामोश क्यों हो?
तुम
इतनी उदास क्यों हो?
क्या
तुम नहीं रोक सकती हो
मेरा
जाना?
क्या
तुम्हे भी प्रिय नहीं
मेरा
आना?
तुम्हारी
क्या मजबूरी है?
ऐसी
कौन सी लाचारी है?
मजबूरी..???
लाचारी...???
मैं
अभी यही नहीं जानती,
क्योंकि
मैं कभी जन्मी ही नहीं,
कभी
माँ बनी ही नहीं,
माँ,
मैं
मिटाऊंगी तुम्हारी लाचारी,
दूर
कर दूंगी मजबूरी,
बस,
मुझे
एक बार जन्मने तो दो.
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