१- मेरा भारत महान!
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सपना एक
भारत महान का।
आलम था बस
इन्सानियत, मानवता का,
सपने के बाहर
मंजर कुछ अलग था,
बिखरा पड़ा था...
टूटा पड़ा था...
सपना...
भारत महान का।
चल रही थी आँधी एक
आतंक भरी,
हर नदी दिखती थी
खून से भीगी-भरी,
न था पीने को पानी
हर तरफ था बस
खून ही खून।
लाशों के ढ़ेर पर
पड़ा लहुलुहान...
कब सँभलेगा
मेरा भारत महान!
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