मदर्स
डे पर दिन भर दिखती रही माँ,
सबकी
कविता, फोटो में सजती रही माँ,
एक
पल का जश्न और फिर ख़ामोशी,
अपने
कमरे में अकेले सिसकती रही माँ.
तुम
हँसते हो तो खिल उठती है माँ,
बोल
सुन तुम्हारे चहक उठती है माँ,
इतनी
मोहब्बत है उससे गर तो क्यों,
सबके
बीच भी अकेली दिखती है माँ.
तुम्हारी
हर सेल्फी में दिख रही है माँ,
हर
कविता की आवाज़ बन रही है माँ,
यूँ
लगा तुम्हारे रोम-रोम में बसी है वो,
फिर
वृद्धाश्रम में क्यों रह रही है माँ.
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