गँवारा
है न इन आँखों को,
तुम्हारा दूर हो जाना,
मचलना
धड़कनों का और सांसों का बहक जाना.
तेरी
चाहत में मेरा हाल कुछ ऐसा हुआ हमदम,
न
देखूं तो परेशानी,
मिलो तो आये शरमाना.
तुम
आओ आ भी जाओ अब, न मुझको सताओ अब,
भरो
बांहों में तुम अपनी,
गले अपने लगाओ अब.
तेरी
चाहत में मेरा हाल कुछ ऐसा हुआ हमदम,
रहकर
तुमसे दूर मुश्किल है इस दिल को समझाना.
घटायें
बरसी हैं या फिर मेरे आंसू के धारे हैं,
मेरी
हालत पर गुमसुम ये चंदा और सितारे हैं.
तेरी
चाहत में मेरा हाल कुछ ऐसा हुआ हमदम,
मुझे
रोना ही आया है, जब भी चाहा मुस्काना.
मिले
हो आज वर्षों में,
सदियों तक संग रहना,
विरहिणी
के मरुस्थल में बन सावन बरस जाना.
तेरी
चाहत में मेरा हाल कुछ ऐसा हुआ हमदम,
तुम्हीं पर जिंदगी अपनी, तुम्हीं पर मुझे है मिट जाना.
तुम्हीं पर जिंदगी अपनी, तुम्हीं पर मुझे है मिट जाना.
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कुमारेन्द्र किशोरीमहेन्द्र
22-07-2015
1 टिप्पणी:
बहुत सुंदर !
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