साँसें खर्च हो रही हैं
बीती उम्र का हिसाब नहीं,
फिर भी जिए जा रहे हैं तुझे
ऐ ज़िन्दगी तेरा जवाब नहीं.
देख तेरी बेरुखी इस कदर
मन करता है छोड़ने का तुझे,
रोक लेतीं हैं नादानियाँ तेरी
कि तू इतनी भी खराब नहीं.
फूल, कली, सितारे, चंदा
सबमें खोजा तुम सा कोई,
हर शै में मिले हँसीं मगर
किसी में तुझ सा शबाब नहीं.
ख्वाब देखा था कभी
तुझे ज़िन्दगी में बसाने का,
ज़िन्दगी बन गए तुम मेरी
ये हकीकत है कोई ख्वाब नहीं.
1 टिप्पणी:
Wah wah. !
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