रविवार, 7 फ़रवरी 2021

तुम्हारे साथ जो गुजरी वो छोटी जिंदगानी है



तुम्हारे साथ जो गुजरी वो छोटी जिंदगानी है, 
वही बाकी निशानी है वही बाकी कहानी है। 
तुम्हारे दूर जाने से न जीवन सा लगे जीवन,
रुकी-रुकी सी है धड़कन न साँसों में रवानी है।

तुम्हारी याद के साए में अब जीवन गुजरना है,
लबों पर दास्तां तेरी इन आँखों को बरसना है।
नहीं तुम सामने मेरे मगर मुझको यकीं है ये,
मेरी आँखों में बसना है मेरे दिल में धड़कना है।

भुलाया जाएगा न जो तू ऐसा दर्द लाया है,
तुम्हारे संग हँसे-खेले तुम्हीं ने अब रुलाया है।
हुई होगी कोई गलती हमसे ही निश्चित ही,
तभी तो रूठ कर तुमने अपने को छिपाया है।




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वंदेमातरम्

1 टिप्पणी:

इन्दु पुरी ने कहा…

मार्मिक और दर्द भरी कविता.... उनका ज़िक्र भी करना था जिनके लिए यूँ आँसु छलके हैं.