आएगी फिर वही सुहानी सुबह
जब
सुनाई देगा
सूरज की रौशनी के साथ
कलरव पंछियों का,
सुनाई देगा
शोर स्कूल के लिए
दौड़ते-भागते बच्चों का.
आएगी फिर वही सुहानी सुबह
जब
गलियों में
जमी होगी महफ़िल
सुबह की सैर करने वालों की,
नुक्कड़ की गुमटी पर
सज रही होंगी होंठों पर
चुस्कियाँ चाय की.
आएगी फिर वही सुहानी सुबह
जब
सड़कों, गलियों में
वीरानियों के साए
डरा नहीं रहे होंगे,
दोस्त-यार-परिजन
गलबहियाँ करते हुए
त्यौहार मना रहे होंगे.
आएगी फिर वही सुहानी सुबह
जब
नहीं सुनाई देगा
किसी घर, गली से
कोई करुण क्रंदन,
नहीं सुनाई देंगे
अनचाहे से
एम्बुलेंस के सायरन.
आएगी फिर वही सुहानी सुबह
जब
हम सभी
कड़वी यादों को
कहीं दफ़न कर आयेंगे,
फिर एक बार
हँसेंगे, खिलखिलाएँगे
ज़िन्दगी को जीना सिखायेंगे.
जल्दी ही
आएगी फिर वही सुहानी सुबह.
2 टिप्पणियां:
ज़रूर आएगी फिर वही सुहानी सुबह
जब हम सबक लेकर पुराने अनुभवों से
नयी पीढ़ी के लिए बेहतर दुनिया बनाएंगे
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति।
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