शुक्रवार, 18 मार्च 2022

बुलडोजर गाड़ी की बुकिंग

बहुत दिनों से परिवार में मगजमारी चल रही थी नई कार लेने के लिए. पुरानी कार अभी इतनी पुरानी नहीं हुई कि उसे बदला जाए मगर परिजनों द्वारा नई कार लेने के लिए अनावश्यक दबाव की राजनीति की जाने लगी. मध्यमवर्गीय परिवार में नौकरी कितनी भी अच्छी हो, वेतन कितना भी हो मगर वह कम ही रहता है इसी तरह कार चाहे जितनी पुरानी हो गई हो जब तक उसका पंजीकरण एक बार अपना नवीनीकरण ना करवा ले तब तक पुरानी नहीं कहलाती है. पुरानी कार से लगाव तो होता ही है, उससे बड़ी बात रकम का इंतजाम करना होती है. एकबारगी मान लीजिये कि मित्रों की सहायता से, रिश्तेदारों की चक-चक के बीच धन इकट्ठा हो भी जाए तो एक और भय बना रहता है. यह भय पैसे वसूली से ज्यादा, उधार देने वालों की धमकी से ज्यादा आयकर विभाग का होता है. हम जैसे सामान्य नौकरीपेशा वाले व्यक्ति की तनख्वाह कितनी भी हो, नौकरी कितनी भी पुरानी हो यदि उसने नगद रूप में कार या कोई अचल संपत्ति खरीदने का काम किया तो जैसे आयकर विभाग वाले उसे सूँघकर पकड़ लेते हैं. नकद खरीददारी के बाद मकान के आसपास टहलता हर अपरिचित व्यक्ति आयकर विभाग का अधिकारी लगता है और दरवाजे की हर आहट आयकर विभाग का छापा.


वैसे कई बार मन में सवाल उठता है कि दस-पन्द्रह वर्ष की अच्छी नौकरी के बाद भी कुछ लाख का सामान यदि नगद लिया जाए तो आयकर वालों की निगाहें टेढ़ी हो जाती हैं, जबकि हमारे धवल वस्त्रधारी, अतिमासूम जनसेवक चंद महीनों की अपनी गतिविधि के बाद करोड़ों रुपए की संपत्ति खुलेआम लिखित में घोषित करते हैं पर वे आयकर विभाग के राडार पर नहीं आते हैं. ऐसा लगता है जैसे इनकी चल-अचल संपत्ति खुशबूरहित हो, बिना किसी महक की हो, इसी से इनकी संपत्ति आयकर विभाग की सूंघने की क्षमता से बाहर रहती है. बहरहाल आयकर विभाग के चक्कर में हमारी कार की कहानी अधूरी रह जाएगी, चलिए वापस कार पर आते हैं.


अभी मेरी कार को दस साल से कुछ महीना ही ऊपर हुआ है मगर मोहल्ले में, रिश्तेदारों में रोब गाँठने के चक्कर में नई कार लेने का दवाब बनाया जा रहा है. जाहिर सी बात है कि कार नगद तो ली नहीं जाएगी, इसके लिए फाइनेंस करवाने की आवश्यकता पड़ेगी. अब घर वालों को कौन बताए कि जितना डर आयकर विभाग का है, उससे कहीं ज्यादा डर फाइनेंस कंपनियों का है. फाइनेंस कंपनी वालों को आपने गलती से भी एक मिस कॉल कर दी तो यह मानो कि आपके मोबाइल पर क्या दिन क्या रात, क्या सुबह क्या शाम, क्या आराम और क्या काम, हर समय हर जगह बस उन्हीं के फोन आते रहेंगे. ऐसी-ऐसी योजनाएँ आपको बताई जायेंगी जो आपको विश्व की सभी सुख-सुविधाओं से सुसज्जित करने का दम रखती हैं.


खैर, घरवालों के रोज-रोज के शाब्दिक अत्याचारों से तंग आकर एक दिन फाइनेंस कंपनी वालों से तंग होना स्वीकार कर लिया. सब जानते-बूझते इस जाल में फँसने के लिए हमने एक फाइनेंस कंपनी सह कार शोर-रूम को फोन कर दिया. दिल को प्रसन्न करने वाली मधुर सी आवाज को हमने अपनी सारी बातें स्पष्ट कर दीं और कम से कम कीमत में अधिक से अधिक लाभ प्रदान करने का आग्रह कर लिया. परिवार वालों की खुशी देखते ही बनती थी किन्तु हमारी खुशी में जिस तरह से ग्रहण लगा उसे हम ही समझ सकते हैं. रोज नए ऑफर, रोज कम ब्याज पर अधिक से अधिक लोन देने की बात, रोज चार-पाँच कॉल, ऐसा लग रहा था इससे बेहतर आयकर विभाग वालों से ही निपट लिया जाता.


एक दिन कार शो-रूम सह फाइनेंस कंपनी के मैनेजर का फोन आया. अगले ने बताया कि एक बहुत बेहतरीन और नए मॉडल की गाड़ी आ गई है. हमने उसकी विशेषता जाननी चाहिए तो उसने कहा कि आप आ जाइए, गाड़ी शोरूम पर है, उसकी विशेषताएं और कार्यप्रणाली आपको पसंद आएगी. घर वाले भी कुछ सुनने के मूड में नहीं थे. नया मॉडल, नई गाड़ी का नाम सुनते ही उन्होंने हमें ऐसे घेर लिया जैसे सारे विपक्षी दल सरकार को घेर लेते हैं. हम स्पीकर महोदय की तरह बैठ जाइए, बैठ जाइए, चुप रहिए, चुप रहिए ही कहते रहे और परिवार के सारे सदस्य विपक्षी सदस्यों की तरह शोर मचाते रहे. होली का कोई बहाना ना मानकर अंततः हमें जबरिया घसीटते हुए शोरूम पर ले जाया गया.


मैनेजर से मुलाकात की तो उसने नई गाड़ी की बहुत तारीफ की, बोला एकाएक इस गाड़ी की बहुत ज्यादा माँग बढ़ गई है. इसने सुरक्षा की गारंटी ले रखी है, किसी भी तरह के छोटे-बड़े अपराधियों को ख़तम करने की गारंटी भी इस गाड़ी में दी जा रही है. हम आश्चर्य में थे कि आखिर ऐसी कौन सी गाड़ी है जो सामाजिक सुरक्षा, अपराधियों से सुरक्षा करवाती हो. इसकी माँग इतनी बढ़ गई मगर कहीं भी, किसी भी प्रकार के विज्ञापन देखने को नहीं मिले. हम और परिवार के सभी सदस्य उत्सुकता से मैनेजर की बातों को सुनने में लगे थे. गाड़ी दिखाने की बात पर उसने एक फोल्डर निकाल कर हम लोगों के सामने रख दिया. फोल्डर में गाड़ी के बने चित्र को देखकर हम सभी चौंक उठे.


वाकई पिछले कुछ दिनों से यह गाड़ी चर्चा का विषय बनी हुई है, अपराधियों के लिए भय का कारण बनी हुई है. उसे देख पहले तो गुस्सा आया मगर हमने हंसते हुए मैनेजर से कहा इस गाड़ी से घूमने का मजा तो आएगा नहीं. वह हँसते हुए बोला इसके दरवाजे पर खड़े होने भर से आप सब की सुरक्षा बनी रहेगी, अपराधियों से जान-माल सुरक्षित रहेंगे. जब आप और आपका परिवार सुरक्षित रहेगा, संपत्ति सुरक्षित रहेगी तो घूमने-फिरने के लिए एक नई लग्जरी कार के लोन की व्यवस्था हम सस्ते दरों पर करवा देंगे. फिलहाल तो आप अभी इसी बुलडोजर गाड़ी को बुक करवा लीजिए क्योंकि यदि जिंदगी है, अपराधमुक्त समाज है तो आप कहीं भी घूम सकते हैं. ना आपको अपराध का डर होगा, ना अपराधियों का और ना अपनी संपत्ति के लूटने का डर होगा. हम सबको असमंजस में देखकर मैनेजर ठहाका मारकर बोला, बुरा न मानो होली है! आपने जो कार बुक करवाई थी, वही आपको मिलेगी. ये तो बस होली का मजाक था.


हम भी उसके ठहाके में ठहाका मार कर मन ही मन हम सोचने लगे कि अगले की बात तो सही है. बुलडोजर के कारण तमाम सारे अपराधियों की जान सांसत में पड़ी हुई है. आम आदमी सुरक्षित महसूस कर रहा है लेकिन लोन के लिए आने वाली फोन कॉल्स से सुरक्षा देने वाली बुलडोजर कार कब आएगी, अब दिमाग उस तरफ घूमने लगा.




1 टिप्पणी:

Dr. Richa Singh Rathore ने कहा…

अच्छा व्यंग्य