रविवार, 26 फ़रवरी 2012

वाह री हॉकी!!! - किसने बनाया तुमको राष्ट्रीय खेल

आज शाम को हमारे मोहल्ले के एक छोटे से बच्चे ने हमें परेशान कर डाला। दरअसल जबसे बिग-बी ने रंगीन सेल्युलाइड की दुनिया के छोटे पर्दे पर आकर लोगों को करोड़पति बनाने का कार्यक्रम शुरू किया है तबसे हमें भी बिना मेहनत के करोड़पति बनने का भूत सवार हो गया है। इसी भूत ने हमारे मिलने-जुलने वालों को, पास-पड़ोस को या यूँ कहें कि शहर के हर छोटे-बड़े को यह खबर दे दी है कि हम भी करोड़पति बनने के लिए हाथ-पैर मार रहे हैं।

इस खबर के बाजार में आते ही हमारे लिए किसी विज्ञापन के ऑफर आये हों अथवा न आये हों किन्तु हमारे लिए सिरदर्दी बढ़ जरूर गई है। राह चलते भी जिसे देखो उसे, हमसे ऊटपटाँग सवाल पूछकर हमारा सामान्यज्ञान जाँचने लगता है। इसी तरह के कुछ लोगों में हमारे मोहल्ले के वे छोटे उस्ताद शामिल हैं जिन्होंने हमें आज शाम को परेशान कर दिया। अभी घर से हम बाहर निकले ही थे कि उन महानुभाव ने धपाक से आकर एक सवाल जड़ दिया-‘‘चाचा, हमारा राष्ट्रीय खेल कौन सा है?’’ हमने अलल्टप्प तरीके से अपने सिर को झटका दिया और धड़ से दे मारा जवाब-‘‘क्रिकेट।’’

ये क्या, हम चारों खाने चित्त गली में पड़े थे। इस नाम का कोई राष्ट्रीय खेल होता ही नहीं है। वहाँ उपस्थित बच्चे, बड़े हमारे सामान्यज्ञान पर हँस रहे थे। हमने जवाब पूछा तो छोटे उस्ताद बोले, आप खोज लेना, आपका और भी ज्ञान बढ़ जायेगा। हमें लगा कि अब वाकई रिसर्च करनी पड़ेगी। बजाय बाजार जाने के हम वापस घर में घुसे और चिपक गये अपने कम्प्यूटर। जैसे ही इंटरनेट की दुनिया में प्रवेश किया तो अरे बाप रे! क्या चमत्कार सा दिखने लगा। जिस खेल के पीछे पूरा देश पागल है, जिस खेल में कई भगवान हैं, वो खेल हमारा राष्ट्रीय खेल नहीं। अब चौंकने की बारी और जोर से थी जब देखा कि राष्ट्रीय खेल उस खेल को बना रखा है जो शायद कभी ही किसी सामचार चैनल की शोभा बनता हो। शायद ही कभी उसका कोई मैच टी0वी0 पर दिखाया गया हो (हमने तो नहीं देखा)। शायद ही किसी समाचार-पत्र में इस खेल को प्रमुखता से छापा गया हो। शायद ही इस खेल में कोई भगवान हो।

उफ! ऐसे खेल को राष्ट्रीय खेल के रूप में स्थापित कर रखा गया है। इसके बाद इस खेल के बारे में और जानकारी एकत्र की। पता चला कि नाम है इसका हॉकीऔर इसको दो टीमों के ग्यारह-ग्यारह लोग एक साथ खेलते हैं। उँह, क्या बकवास है, एक साथ बाइस लोग मैदान में...इस भीड़ के साथ खेल होता है कि जुलूस निकाला जाता है। खैर हमें क्या, खेलो या जुलूस निकालो...हमें तो एक यही बात अच्छी लगी कि इसमें भी क्रिकेट की तरह से दोनों टीमों में ग्यारह लोग अपना खेल दिखाते हैं। बस, खेलने के तरीके पर जरा तरस आया। बाइस लोग, बाइसों के हाथ में एक डंडानुमा कोई चीज और खेलने को एक अदना सी गेंद। सब पड़े हैं इसी एक गेंद के पीछे किसी भी तरह से भागदौड़ करके एक जाली में घुसा भर देना है। ये लो हो गया गोल....क्या बकवास...चौकोर जाली में घुसा के मारा और कह दिया गोल।

एक पल को इस राष्ट्रीय खेल के बारे में और राष्ट्र में स्थापित खेल में अन्तर करने लगे। कहाँ इस खेल में सभी खिलाड़ी पसीना बहाते हुए एक ही गेंद के पीछे पड़े हैं और कहाँ दूसरी तरफ शान्ति से मैदान के खिलाड़ी और बाहर ड्रेसिंग रूम में बैठे खिलाड़ी सुस्ताये से अपना-अपना खेल खेलते हैं। यहाँ एक गेंद के लिए बाइसों को मेहनत करनी पड़ती है और वहाँ एक गेंद के लिए सिर्फ दो-तीन को ही मेहनत..एक ने गेंद से और दूसरे से बल्ले से। इसी में यदि बल्ले से लगकर कहीं चली गई तो तीसरे की मेहनत वरना पीछे खड़े-खड़े विकेट कीपर उसे पकड़ तो रहा ही है।

अब देख लो जरा खिलाड़ियों का स्तर....यहाँ बेशर्मी से हाफ नेकर पहने पूरे मैदान में दौड़ते-भागते दिखाई देते हैं अपनी टाँगों का प्रदर्शन करते। हमें लगा इसी कारण से इसके मैचों का प्रसारण टी0वी0 पर नहीं होता है। आखिर हमारे घरों में माँ-बहिनें भी हैं और इन बेशर्मों की अश्लीलता को देखने थोड़े ही बैठी हैं। दूसरी ओर क्रिकेट में देखिये....सब वेल-अप-टू-डेट। पूरी डेª, कॉलर खड़े, सिर पर कैप, गले में रुमाल, आँखों में चश्मा...मानो खेलने नहीं कहीं शॉपिंग के लिए निकले हों। देखते ही लड़कियाँ चिल्ला-चिल्ला कर आसमान सिर पर उठा लेती हैं, आखिर भारतीय महिलाओं के माफिक पूरे भारतीय पुरुष नजर आते हैं।

राष्ट्रीय खेल हॉकीके बारे में खोजते-खोजते इतना ज्ञान प्राप्त कर लिया कि हमें आसानी से भान हो गया कि आखिर इतने स्वर्णपदक जीतने के बाद भी हॉकी क्यों कोयले के ढेर में पड़ी है और रो-रोकर कुछ भगवानों के भरोसे दो विश्वकप जीतने वाली क्रिकेट में हीरे-जवाहरात लगे दिखते हैं। इसी तरह के कुछ और ज्ञान-चक्षुओं के खुलने के बाद ही हमें लगा कि हॉकी को सरकार ने कहीं आरक्षण कोटे के आधार पर तो राष्ट्रीय खेल का दर्जा तो नहीं दे रखा है, आखिर वो भी तो पिछड़ी, दलित या कहें कि पद-दलित की श्रेणी में ही दिखाई देती है।

इस बारे में और भी ज्ञान मिला...जो फिर कभी बाँटेंगे अभी इतना ही ज्ञान उन छोटे उस्ताद के साथ बाँट आयें।

1 टिप्पणी:

भारतीय नागरिक - Indian Citizen ने कहा…

बहुत ठीक लिखा है. अब हाकी का यही हाल हो गया है.