लॉकडाउन
में कहीं आना-जाना तो हो नहीं रहा है सो दिन-रात मोबाइल, लैपटॉप की आफत बनी हुई
है. शुरू के कुछ दिन तो बड़े मजे से कटे उसके बाद इन यंत्रों के सहारे दूसरे लोग
हमारी आफत करने पर उतारू हो गए. सुबह से लेकर देर रात तक मोबाइल की टुन्न-टुन्न
होती ही रहती है मैसेज के आने की सूचना देने के लिए. समस्या इस मैसेज की
टुन्न-टुन्न से नहीं बल्कि आने वाले मैसेज से है. मैसेज भी ऐसे कि बस अभी के अभी
विद्वान बना देंगे. सोशल मीडिया के किसी भी मंच पर जाओ, इसी तरह का ट्रैफिक देखने
को मिल रहा है. अरे लॉकडाउन में अपने घर बैठे हो तो काहे जबरिया ट्रैफिक बढ़ाने में
लगे हो?
अभी
भी नहीं समझे क्या? कहाँ से समझेंगे आप क्योंकि अभी बताया ही नहीं हमने कि मैसेज
काहे के आते हैं. असल में दिन भर में करीब पंद्रह-बीस मैसेज आते हैं वेबिनार के. एक
फॉर्म भरकर आप तैयार होकर अपने घर पर ही बैठे रहें. कहीं जाना नहीं, किसी जगह जाने
की, रुकने की चिंता नहीं. समस्या तो अब पूरी तरह से तैयार होने की भी नहीं. ऊपर
शर्ट अकेले डाल लो और बैठ जाओ कैमरे के सामने जाकर. शुरू में इसके बारे में
जानकारी हुई तो लगा कि चलो कुछ लोगों को बैठे-बैठे समय बिताने का अवसर मिल जायेगा.
इसके बाद तो जैसे-जैसे दिन गुजरने शुरू हुए तो लगा जैसे बन्दर के हाथ अकेले उस्तरा
नहीं पकड़ाया गया है बल्कि उसके साथ में आईना भी थमा दिया गया है. अब आईना देख-देख
कर उस्तरा घुमाया जा रहा है. ज़िन्दगी में पहली बार इस तकनीक से सामना, परिचय होने के कारण वे इसे पूरी तरह निचोड़ लेना चाहते हैं. इनका वश चले तो इसी तरह कोरोना को निचोड़ डालें.
आज
इसी वेबिनार (बेबी-नार नहीं) के मारे एक बेचारे मिले. वे पहले से ही अपनी नार के
मारे तो थे ही अध्यापन के दौरान सेमी-नार से भी परेशान होने लगे. सेमी-नार में आनंद
आने लगा और बजाय पढ़ाने के वे उसी के विशेषज्ञ बन गए. कालांतर में जब उनके बाल सफ़ेद
होने लगे, घुटने कांपने लगे, चश्मे का नंबर लगातार बढ़ने लगा तो उन्हें अपने विषय
का विशेषज्ञ भी मान लिया गया. अब वे सेमीनार करवाने के बजाय उसमें कुर्सी चपेट की
भूमिका में आने लगे. उद्घाटन सत्र से लेकर समापन सत्र तक किसी न किसी रूप में वे
मंच पर ही दिखते.
आज
मिलते ही बातों-बातों में वेबिनार की चर्चा निकल आई. बस वे अपने लड़खड़ाते हत्थे से
उखड़ गए. हाँफते-थूक निकालते उन्होंने वेबिनार संस्कृति को समूची सभ्यता के लिए,
मान-मर्यादा के लिए, सम्मान के लिए खतरा बता दिया. उन्हें इसमें अपने जैसे
बड़े-बूढ़े विशेषज्ञों की कुर्सी पर खतरा मंडराता दिखा. कुर्सी के साथ-साथ जेब में
आती सम्पदा पर भी संकट आते दिखा. समाचार-पत्रों में छपने, लोकल चैनल पर चेहरे के
चमकने का टोटा दिखाई दिया. उन्होंने इसे सीधे-सीधे युवाओं के द्वारा बुजुर्गों के
खिलाफ साजिश बता दिया. इस कदम को बुजुर्गों के अपमान से जोड़कर प्रचारित कर दिया. उनके अन्दर का सारा गुबार थूक, लार के
रूप में उनके साथ-साथ आसपास वालों को भी अपने चक्रवाती तूफ़ान में लेने की कोशिश
करने लगा.
उनकी
हाँफी-खाँसी-थूक-लार से खुद को बचाते हुए कथित कोरोना को भी दूर किया. उनके हाँफने
से प्रभावित अपने हाँफने को नियंत्रित करके हमने उनकी बातों पर विचार किया तो लगा
कितनी व्यापक चिंता कर गए वे तो. अब ऊपर से मिलने वाली ग्रांट पर भी रोक लग सकती
है. स्थानीय स्तर पर हनक की दम पर वसूले जाने वाले विज्ञापनों से होने वाली आय भी
समाप्त हो सकती है. अनावश्यक छपाई कार्यक्रम से होने वाले अपव्यय को रोका जा सकता
है. अंधा बांटे रेवड़ी, चीन-चीन के दे के आधार पर परिचितों की जेब में जाने वाले धन
का रास्ता भी अवरुद्ध हो सकता है. फिर सिर झटका कि ये सब ठीक है मगर ये रोज-रोज के
दर्जन भर लिंक से कौन जूझेगा? गली-गली विद्वता प्रदर्शित करने वालों से कौन, कैसे
निपटेगा?
इसी
निपटने में याद आयी एक और समस्या. वेबिनार के साथ-साथ उस्तरा थामे महानुभाव आपसे
एक लिंक के द्वारा बस एक फॉर्म भरने का निवेदन करेंगे. इसके भरते ही और उसमें दिए
गए कुछ विशेष, रटे-रटाये सवालों के जवाब देकर आप विशेषज्ञ हो जायेंगे कोविड-19
के, कोरोना के. इसके लिए आप अपने को कोरोना योद्धा भी कह सकते हैं. जिन
खबरों से बचने के लिए टीवी बंद करवा दिया, समाचार-पत्र बंद करवा दिया, इंटरनेट पर
भी समाचार चैनलों को, लिंक को खोलना-देखना बंद कर दिया वही विषय सिर खाने के लिए
मोबाइल से झाँकने लगा है.
समझ
नहीं आ रहा कि सरकार ने लॉकडाउन कोरोना संक्रमण से बचने के लिए किया है या कोरोना
विशेषज्ञ बनाये जाने वालों की पैदाइश के लिए? सरकार को इस अनावश्यक टॉर्चर किये
जाने को भी लॉकडाउन का उल्लंघन माना जाना चाहिए. वैसे भी उच्चीकृत मास्टर इस समय
या तो मूल्यांकन कार्य में छपाई कर रहा होता या फिर घूमने में गँवाई. ऐसे में उन
नवोन्मेषी वेबिनार वालों पर संगीन धाराओं में मुकदमा दर्ज किया जाना चाहिए जो न
केवल लिंक भेजने का कार्य करते हैं बल्कि असमय फोन करके लॉकडाउन की शांति भंग करने
का प्रयास भी करते हैं.
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#हिन्दी_ब्लॉगिंग
6 टिप्पणियां:
जबरदस्त प्रहार । शानदार व्यंग्य
गजब लिखा है
https://yourszindgi.blogspot.com/2020/04/blog-post.html?m=1
लाजबाब👌👌👌
Shandar vyang
बहुत बढ़िया💐
संकट और मानसिक परेशानी के इस दौर में व्यंग्य के हल्के फुल्के पल।।
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