शनिवार, 16 अप्रैल 2022

पतझड़ में सावन की फुहार सी तुम

पतझड़ में सावन की फुहार सी तुम

किसी उपवन में छाई बहार सी तुम,

तुम से है रौनक तुम से ही खुशियाँ

जीवन के उल्लासित त्यौहार सी तुम।

 

धड़कन में तुम, तुम ही साँसों में

तुम नजरों में, तुम ही ख्वाबों में,

सोच में तुम ही, बातें भी तुम्हारी

खट्टे मीठे पलों की हिस्सेदार सी तुम।

 

कहना चाहें तुमसे अपने दिल की

छोटी सी, बड़ी सी बातें मन की,

तुम अपनी सी, विश्वास तुम्हीं पर

सारे एहसासों की राजदार सी तुम।






















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कुमारेन्द्र किशोरीमहेन्द्र

1 टिप्पणी:

बेनामी ने कहा…

सुंदर रचना सुंदर पेंटिंग के साथ